द फॉलोअप डेस्क
झारखंड हाईकोर्ट में आज राज्य में लागू नई डीजीपी नियुक्ति नियमावली और अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार समेत अन्य प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने के लिए एक और अवसर प्रदान किया है, क्योंकि आज किसी भी पक्ष की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया।
पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया था कि राज्य सरकार ने डीजीपी नियुक्ति नियमावली में यूपीएससी की भूमिका समाप्त कर दी है, जो संविधान के विरुद्ध है। इस नियमावली को रद्द किए जाने की मांग की गई है। इससे पहले हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, यूपीएससी, डीजीपी और केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया था। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने की।
गौरतलब है कि भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने अनुराग गुप्ता की डीजीपी पद पर नियुक्ति को चुनौती दी है। उनकी ओर से अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने पूर्व में अदालत को बताया था कि अनुराग गुप्ता को 25 जुलाई 2024 को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था, जो कि 3 जुलाई 2018 को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। इसके बाद विधानसभा चुनाव समाप्त होने पर 28 नवंबर 2024 को तत्कालीन डीजीपी अजय कुमार सिंह को हटाकर अनुराग गुप्ता को स्थायी डीजीपी नियुक्त किया गया, जो फिर से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ है।
क्या है याचिका में?
याचिका में कहा गया है कि डीजीपी की नियुक्ति केवल यूपीएससी द्वारा अनुशंसित पैनल के माध्यम से होनी चाहिए। लेकिन राज्य सरकार ने यूपीएससी को दरकिनार कर अनुराग गुप्ता को अपनी मर्जी से नियुक्त कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि जब तक राज्य सरकार इस संबंध में नया कानून नहीं बनाती, तब तक नियुक्ति की प्रक्रिया यूपीएससी के माध्यम से ही होनी चाहिए। हालांकि, झारखंड सरकार ने अब डीजीपी की नियुक्ति के लिए नई नियमावली बनाई है, जिसके तहत एक नॉमिनेशन कमेटी गठित की गई। इसी कमेटी ने अनुराग गुप्ता के नाम की सिफारिश की, जिसके आधार पर उन्हें स्थायी डीजीपी बनाया गया।