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स्वीडन और स्पेन का दौरा, एफडीआई लाने की दिशा में एक सार्थक कदमः उद्योग सचिव

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द फॉलोअप डेस्क
उद्योग सचिव अरवा राजकमल ने स्वीकार किया है कि डायरेक्ट फॉरेन इन्वेस्टमेंट के क्षेत्र में झारखंड काफी पिछड़े राज्यों में शामिल है। आंकड़े ही स्पष्ट करते हैं कि झारखंड एफडीआई के मामले में दिल्ली जैसे छोटे राज्यों से भी नीचे, आठवें पायदान पर हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 को छोड़ दें, जब लगभग 13000 करोड़ के निवेश पर बात बनी, लेकिन पिछले 10 वर्षों में कभी 100 करोड़ रुपए का भी एफडीआई नहीं हुआ। कतिपय कारणों से 13000 करोड़ के प्रत्यक्ष पूंजी निवेश भी जमीन पर नहीं हो सका। सच यह भी है कि झारखंड में जमीन अधिग्रहण एक समस्या है। कतिपय नीतियों में संशोधन की जरूरत है। 2016 के बाद पिछले नौ वर्षों में एफडीआई लाने के लिए कोई सार्थक प्रयास भी नहीं हुआ। इतना ही नहीं देश के अन्य राज्यों से भी इस मुद्दे पर झारखंड का तीखा कंप्टीशन है। बावजूद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में पिछले दिनों स्पेन और स्वीडन का दौरा, एफडीआई लाने की दिशा में एक सार्थक कदम है। झारखंड को इसका लाभ मिलेगा। आनेवाले समय में इसका प्रतिफल दिखेगा। अरवा राजकमल आज दोनों देशों की यात्रा के उद्देश्य, वहां मिली सफलता, विभिन्न कंपनियों के साथ हुए विचार-विनिमय और अन्य विषयों के बारे में मीडिया को संबोधित कर रहे थे। उनके साथ यात्रा पर गए अन्य वरीय अधिकारी भी मौजूद थे।


एफडीआई में झारखंड की हिस्सेदारी मात्र 0.98 फीसदी
अरवा राजकमल ने बताया कि वर्ष 2019-2024 की अवधि में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित करने में भारत में झारखण्ड 8वें पर स्थान था। वित्तीय वर्ष 2018-19 तक झारखंड में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का प्रवाह न्यूनतम था। साथ ही वित्तीय वर्ष 2016-17, 2017-18 और 2018-19 के लिए कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह लगभग 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। जबकि महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात का स्थान अव्वल था एवं दिल्ली और हरियाणा जैसे छोटे राज्य प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने में झारखंड से ऊपर था। 
विगत 5 वर्ष की अवधि (2019-24) में भारत का कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का झारखण्ड की हिस्सेदारी मात्र 0. 98% था। वर्ष 2024 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में झारखंड के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का हिस्सा लगभग 2.5% था जिससे स्पष्ट है कि झारखंड में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आनुपातिक दृष्टिकोण से कम है। अन्य राज्यों की तुलना में जो रोड शो और निवेशक सम्मेलनों के माध्यम से निवेश को सक्रिय रूप से बढ़ावा देते हैं, झारखंड इसमें काफी पीछे रहा है। देश के दूसरे राज्य यूरोप व अन्य देशों में साल में चार से पांच बार एफडीआई के लिए दौरा करते हैं। झारखंड ने पिछले नौ साल में कोई प्रयास नहीं किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा रोड शो के माध्यम से अंतिम अंतरर्राष्ट्रीय निवेश से संबंधित कार्यक्रम 2016-17 में आयोजित किया गया था। इस प्रकार राज्य के द्वारा लगभग 9 वर्षों से वैश्विक मंच पर निवेश से संबंधित कोई वृहत कार्यक्रम आयोजित नहीं की जा सकी है। 

इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी व अन्य नीतियों में होगा बदलाव
अरवा राजकमल ने बताया कि विदेश दौरे के बाद उद्योग विभाग में एफडीआई और विदेश यात्रा को लेकर अलग विंग का गठन किया जाएगा। एक सीनियर अधिकारी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए बैठक भी की जाएगी। साथ ही इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी व अन्य नीतियों में भी बदलाव किया जाएगा। झारखंड में कोई स्टार्टअप पॉलिसी भी नहीं है। स्टार्टअप पॉलिसी बनाने की दिशा में शीघ्र कदम उठाया जाएगा। साथ ही जिन विदेशी उद्योगपतियों, अधिकारियों और वहां के प्रतिनिधियों से बातचीत हुई है, उस पर बात आगे बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जाएंगे। जापान के ओसाका में जारी एक्सपो में झारखंड भी हिस्सा लेगा। साहेबगंज-गोविंदपुर इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर बनाने की प्रक्रिया को शीघ्र आगे बढ़ाया जाएगा।

रांची में मेगा सम्मेलन और व्यापार प्रदर्शनी केंद्र बनाने में मदद का मिला प्रस्ताव

उच्च्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने यूरोप के सबसे बड़े और सबसे आधुनिक प्रदर्शनी स्थलों में से एक फिरा बार्सिलोना इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर का दौरा किया। यहां प्रदर्शनी से प्रति वर्ष लगभगग 36000 करोड़ का राजस्व मिलता है तथा 35000 लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। प्रतिनिधिमंडल ने सीसीआईबी और ग्रान वाया में प्रदर्शनी केंद्रों का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के जवाब में फिरा डी बार्सिलोना के सीईओ रिकार्ड जपाटेरों ने एक प्रस्तुति दी। स्पेन में भारत के राजदूत की उपस्थिति में मुख्यमंत्री को रांची में €120 मिलियन से €170 मिलियन के निवेश से एक मेगा सम्मेलन और व्यापार प्रदर्शनी केंद्र विकसित करने के लिए एक LOI प्राप्त हुआ। इसी तरह वोल्वो झारखंड में असेंब्लिंग यूनिट स्थापित करने में रुचि दिखाया है। इसके अलावा टेस्ला ग्रुप ने भी झारखंड में ईनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बैट्री) स्थापित करने में रुचि दिखाया है।

 

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