गुमला
तेलंगाना राज्य के नागरकुलम में हुए दर्दनाक टनल हादसे में फंसे गुमला जिले के तिर्रा गांव के मजदूर संतोष साहू का शव अब तक नहीं मिल पाया है। इस पर परिजनों ने अब संतोष का पुतला बनाकर हिंदू रीति-रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया। श्मशान घाट पर हुए इस क्रिया-कर्म में संतोष की पत्नी संतोषी देवी, उनके बच्चे और ग्रामीण भारी गम में डूबे हुए थे। 22 फरवरी को हुए इस हादसे के बाद से संतोष के शव के मिलने का इंतजार किया जा रहा था, लेकिन 80 दिन बाद भी शव का कोई सुराग नहीं मिला, जिसके बाद परिवार ने पूरी उम्मीद छोड़ दी और पुतले का अंतिम संस्कार किया। संतोष के छोटे बेटे ऋषभ ने पुतले को मुखाग्नि दी। इस दौरान पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई, खासकर संतोष की पत्नी और बच्चों की स्थिति बेहद दयनीय थी।
झारखंड सरकार से मदद की मांग
परिजनों का कहना है कि तेलंगाना सरकार ने उन्हें मृत्यु प्रमाण पत्र और ₹25 लाख का चेक दिया है, लेकिन झारखंड सरकार से किसी प्रकार की मदद नहीं मिली। संतोषी देवी ने झारखंड सरकार से जीवन यापन के लिए नौकरी और बच्चों की शिक्षा की बेहतर व्यवस्था की मांग की है। गुमला जिले के उपायुक्त ने बताया कि तेलंगाना सरकार की ओर से 25 लाख रुपये का चेक दिया गया है, लेकिन परिवार को अन्य कोई सहायता नहीं मिली। संतोष के बहनोई श्रवण साहू ने बताया कि वे एक महीने तक तेलंगाना में रहे और लगातार हादसे के स्थल पर गए, लेकिन अब तक शव नहीं मिल सका।
लोगों में आक्रोश
यह घटना इस बात को भी उजागर करती है कि रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में गए लोगों के परिवारों को सरकारों की ओर से कोई मदद नहीं मिलती। संतोष के परिवार की स्थिति देखकर गांव में आक्रोश फैल रहा है, और लोग झारखंड सरकार से ठोस कदम उठाने की उम्मीद कर रहे हैं।