रांची
शराब घोटाले में एसीबी द्वारा गिरफ्तार किए गए आईएएस अधिकारी विनय चौबे को आज होटवार जेल से रांची के रिम्स (राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान) में स्थानांतरित किया गया। जानकारी के मुताबिक वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ हैं।
उनके वकील ने बताया कि उनकी शारीरिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे अधिक समय तक खड़े रह सकें। उल्लेखनीय है कि 20 अप्रैल को करीब छह घंटे की पूछताछ के बाद विनय चौबे को गिरफ्तार कर लिया गया था. उनके साथ तत्कालीन संयुक्त उत्पाद सचिव गजेंद्र सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में अब तक एसीबी कुल पांच लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. जो जानकारी एसीबी की तरफ से दी गई उसके अनुसार करीब 38 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है जिसमें सबकी भागीदारी है. फ़िलहाल इस मामले की जाँच एसीबी आगे कर ही रही है।
दरअसल, झारखंड ने 2022 में छत्तीसगढ़ के तर्ज पर शराब बिक्री की नई नीति लागू की थी। इस नीति को जमीन पर उतारने के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSMSCL) को कंसल्टेंट के तौर पर जोड़ा गया था। जांच में खुलासा हुआ है कि घोटाले की नींव यहीं से रखी गई। नीति को लागू कराने में झारखंड के तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे और संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह की भूमिका प्रमुख बताई जा रही है। इन दोनों के अलावा कुल सात लोगों पर छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में एफआईआर दर्ज है। यह केस रांची के अरगोड़ा निवासी विकास सिंह की शिकायत पर दर्ज हुआ था।
शिकायत के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के एक संगठित सिंडिकेट ने झारखंड के अफसरों की मिलीभगत से नई आबकारी नीति में ऐसे बदलाव करवाए, जिससे टेंडर केवल उन्हीं लोगों को मिलें जो सिंडिकेट से जुड़े थे। आरोप है कि बिना किसी रजिस्ट्रेशन या वैध होलसेलर्स के थोक में शराब बेची गई और कुछ चुनिंदा कंपनियों को विदेशी शराब सप्लाई कर करोड़ों का अवैध मुनाफा कमाया गया। एफआईआर में यह भी आरोप है कि टेंडर की शर्तों में ऐसा टर्नओवर क्लॉज डाला गया, जिससे प्रतिस्पर्धा खत्म हो गई और ठेके सिर्फ तय समूह को ही मिल सके। नतीजतन, 2022 से 2023 के बीच झारखंड सरकार के राजस्व को बड़ा नुकसान पहुंचा।