''हौसले और हिम्मत से जयपुर की डॉ कीर्ति भारती बदल रही समाज
तमसो मा ज्योतिर्गमय-दीपावली की शुभकामनाएं हार्दिक
प्रभावशाली मीडिया, नेता, पार्टियां पत्थर फेंकने का काम कर रही हैं।
'जय भीम' की तरह 'आक्रोश' के केंद्र में भी आदिवासी थे। वहाँ भी एक समाजकर्मी था। एक वकील था। एक पब्लिक प्रासिक्यूटर था। पुलिस थी। नेता थे। अन्याय था। अन्याय के खिलाफ कानूनी संघर्ष था। दोनों फिल्में सच्ची घटना पर आधारित हैं। अंतर क्या है?
नौकरी छोड़ दी और एक पूर्णकालिक चिकित्सा जोकर बन गयी, जो अस्पतालों, अनाथालयों, वृद्धाश्रमों और यहां तक कि झुग्गियों में भी प्रदर्शन करती है। मेरे माता-पिता गर्व से कहते हैं, 'हमारी बेटी जान बचाती है।'
अमेरिकी तर्ज की इमारतें, अपार्टमेंट, स्काइ स्कैपर और शापिंग कांप्लेक्स उठ खड़े हुए वे कलकत्ता के मुख्य शहर में बहुत कम
26 साल की उम्र में, मैं डॉक्टर बन गया! मां और पापा की आंखों में आंसू थे। मैंने पापा से कुली का काम करना बंद करा दिया और माँ को एक साड़ी लाके दी उसने मेरी तरफ देखा और कहा, धन्यवाद, डॉक्टर साहब!
पांच-दिवसीय के सांस्कृतिक, समाजशास्त्रीय, मानवीय और आर्थिक पहलुओं पर ध्रुव गुप्त का आलेख
'न्यूटन के पहले के दो महान वैज्ञानिकों ब्रूनो और गैलीलियो को चर्च ने दिल दहलाने वाली सज़ा दी... जिसे नज़ीर बना दिया गया लोगों के लिए।
ये पुलिस अधीक्षक एक बीमार और चोटिल बच्ची के घर पहुंच जाते हैं। फल और दवाइयां लेकर। बच्ची जिसका इलाज उन्होंने खुद कराया है। एक गरीब बच्चे के हाथ में नया स्मार्टफोन आ जाता है ताकि वो ऑनलाइन क्लास कर सके। उसकी पढ़ाई में कोई बाधा ना हो, ये सुनिश्चित करते हैं
उनके उम्दा कामों की लंबी फेहरिस्त है, प्रिविपर्स की समाप्ति, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, सोवियत रूस से मैत्री, सफल विदेश नीति, अंतरिक्ष में राकेश शर्मा से बात, बांग्लादेश का उदय, सिक्किम को भारत में विलय, कश्मीर में प्रधानमंत्री पद ख़त्म करना प्रमुख हैं।
ऐसे समय में जब हमारी राजनीति उग्र राष्ट्रवाद की गिरफ्त में है और मुल्क की पूरी अर्थसत्ता पूंजीपतियों के कब्जे में, हमें उनकी बातें, उनके विचार और उनकी चेतावनी अपनी ओर खींच रहे हैं।