द फॉलोअप डेस्क
बिहार के समस्तीपुर जिले के रोसड़ा प्रखंड में मध्य विद्यालय महुली के प्रभारी प्रधानाध्यापक ज्ञान रंजन को सस्पेंड कर दिया गया है। उस पर छात्र-छात्राओं की फर्जी उपस्थिति बनाकर मध्याह्न भोजन योजना की सरकारी राशि और चावल का गबन करने के आरोप लगे हैं। इस मामले में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी कुमार सत्यम ने कार्रवाई की है। इसके अतिरिक्त ज्ञान रंजन पर कार्य में लापरवाही, मनमाना व्यवहार और विभाग के आदेशों की अवहेलना करने का भी आरोप लगा है।
जानकारी में यह पता चला है कि, कार्रवाई मध्याह्न भोजन योजना की जांच रिपोर्ट के आधार पर जिला शिक्षा पदाधिकारी के आदेश पर की गई। ज्ञान रंजन को सस्पेंड के दौरान प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय, बिथान के मुख्यालय पर तैनात किया गया है। नियम के अनुसार उन्हें सस्पेंड अवधि के दौरान जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा।
DPO सुमित कुमार सौरभ की अध्यक्षता में की गई जांच में यह पता चला है कि दो अप्रैल 2025 को रोसड़ा मध्याह्न भोजन योजना के प्रखंड साधन सेवी द्वारा किए गए निरीक्षण में भोजन की गुणवत्ता उस अनुरूप नहीं थी। साथ ही भौतिक जांच में चावल की मात्रा लगभग 565 किलोग्राम कम थी। प्रारंभिक जांच से यह पता लगा कि फर्जी उपस्थिति बनाकर ज्ञान रंजन के द्वारा सरकारी चावल और राशि का गबन किया गया है।
जांच की रिपोर्ट में लिखा है कि 1 जनवरी 2025 को उपस्थिति पंजी में 78 छात्रों की उपस्थिति दर्ज की गई थी, वहीं मध्याह्न भोजन योजना की पंजी में भी 78 लाभार्थी के नाम अंकित थे, जबकि उस दिन स्कूल में मध्याह्न भोजन प्रदान ही नहीं की गई थी। इसी तरह से, 4 फरवरी को उपस्थिति पंजी में कक्षा 1 से 5 में 127 और कक्षा 6 से 8 में 99 छात्र के नाम दर्ज थे, जबकि एमडीएम पंजी में कक्षा 1 से 5 में 146 और कक्षा 6 से 8 में 135 छात्रों का नाम दर्ज था।
इस मामले को लेकर रोसड़ा के मध्य विद्यालय महुली की विद्यालय शिक्षा समिति की अध्यक्ष रंजू देवी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी से शिकायत की थी। और कहा था कि 7 जनवरी को विद्यालय शिक्षा समिति का कार्यकाल समाप्त हो चुका था, लेकिन प्रभारी प्रधानाध्यापक ने नए समिति का गठन नहीं कराया। और यही कारण है कि एमडीएम और विकास मद की राशि का गबन हो रहा है। उन्होंने इससे सम्बंधित मामले की जांच कराने की भी मांग की थी।
जांच की रिपोर्ट आने के बाद सख्त कार्रवाई की जा सकती है। मध्याह्न भोजन योजना को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार ने कई पहल शुरू की हैं, जिसमें डिजिटल निगरानी और नियमित ऑडिट शामिल हैं। इस तरह के गबन को रोकने के लिए कड़ी निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।