द फॉलोअप डेस्क
10वीं बोर्ड के नतीजे घोषित हुए। देशभर में जश्न मन रहे थे, लेकिन बागलकोट के एक घर में जो हुआ, वह बाकियों से बिल्कुल अलग था—और बेहद खास भी। यहां भी केक कटा, खुशियां मनाईं गईं, लेकिन वजह यह नहीं थी कि बेटे ने टॉप किया या अच्छे अंक पाए। बल्कि छात्र अभिषेक चोलचागुड्डा बोर्ड परीक्षा में फेल हो गया था—और उसके बावजूद माता-पिता ने बेटे का हौसला बढ़ाने के लिए घर में जश्न मनाया। बसवेश्वर इंग्लिश मीडियम स्कूल के छात्र अभिषेक को कर्नाटक बोर्ड की 10वीं की परीक्षा में 600 में से सिर्फ 200 अंक मिले। रिजल्ट आने के बाद दोस्त और कॉलेज के अन्य छात्र उसका मज़ाक उड़ाने लगे, जिससे अभिषेक मानसिक तनाव में चला गया।
लेकिन जहां आमतौर पर ऐसे वक्त में बच्चों को डांट पड़ती है या घर का माहौल और दबाव बढ़ता है, वहीं अभिषेक के माता-पिता ने उल्टा रास्ता चुना—समर्थन और स्वीकार्यता का। उन्होंने केक काटकर बेटे के साथ खड़े रहने का संदेश दिया और दिखा दिया कि एक परीक्षा की हार, जीवन की हार नहीं होती। अभिषेक के पिता ने कहा, "तुम परीक्षा में असफल हो सकते हो, लेकिन जीवन में नहीं। यह अंत नहीं है, बल्कि एक नई शुरुआत है।"
इस सकारात्मक सोच ने अभिषेक को भीतर तक छू लिया। भावुक अभिषेक ने कहा, "भले ही मैं इस बार फेल हुआ, लेकिन मेरे परिवार ने मेरा साथ नहीं छोड़ा। मैं फिर से परीक्षा दूंगा और जीवन में आगे बढ़ूंगा।"
यह कहानी सिर्फ अभिषेक की नहीं है—यह उन हज़ारों छात्रों की कहानी है जो हर साल परीक्षा के दबाव में घुटते हैं, और कई बार तो घातक कदम भी उठा लेते हैं। अभिषेक के माता-पिता का यह साहसी और स्नेहभरा रवैया एक मजबूत सामाजिक संदेश बन गया है—कि असफलता का मतलब अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है।
अभिषेक की यह प्रेरणादायक कहानी अब सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही है। लोग न सिर्फ इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं, बल्कि अभिषेक के माता-पिता के इस फैसले की सराहना कर रहे हैं। यह उदाहरण बताता है कि प्यार, समझ और समर्थन से किसी बच्चे की ज़िंदगी बचाई जा सकती है।