द फॉलोअप डेस्क
झारखंड में भ्रष्टाचार के आरोप में आईएएस अधिकारियों से विभिन्न जांच एजेंसियों द्वारा पूछताछ और उन्हें जेल गिरफ्तार करने का सिलसिला थम नहीं रहा। अब तक झारखंड कैडर के कई आईएएस अधिकारी जेल की हवा खा चुके हैं। डॉ प्रदीप कुमार पहले आईएएस अधिकारी थे, जिन्हें जेल की सींखचों में रहना पड़ा था। उसके बाद यह सिलसिला आगे बढ़ता जा रहा है। रांची डीसी रहे छवि रंजन अभी भी जेल में हैं। जमानत मिलने के बाद जेल से निकली पूजा सिंघल फिलहाल आईटी सेक्रेट्री हैं। आज राज्य के उत्पाद सचिव रहे विनय कुमार चौबे को एसीबी ने गिरफ्तार किया है। कोर्ट ने उन्हें तीन जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। आगे भी इस सिलसिले के ठहने की संभावना नहीं दिखायी पड़ रही है।
जब शिवाजी महान कैरे को कार्रवाई से रोक दिया गया था
राज्य में सत्ता के साथ मिल कर ब्यूरोक्रेसी द्वारा भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगाने की यह कहानी बहुत पुरानी है। कहा जाता है कि अलग झारखंड गठन के बाद पहली बार तत्कालीन निगरानी ब्यूरो के डीजी शिवाजी महान कैरे ने शिला रपाज किस्कू के विरुद्ध मिले भ्रष्टाचार के कतिपय आरोपों को लेकर उन्हें दबोचने की कोशिश की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री से उन्होंने कार्रवाई की अनुमति मांगी। अनुमति नहीं मिलने के कारण निगरानी ब्यूरो कार्रवाई करने में असमर्थ हो गया। बताते हैं कि इसके बाद राज्य में नौकरशाही का खद्दरधारी के साथ मिल कर भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगाने की अघोषित छूट मिल गयी। अगर राज्य गठन के ठीक बाद किसी बड़े ब्यूरोक्रेट्स पर कार्रवाई हो गयी होती तो आज जेल जाने का यह सिलसिला ठहर गया होता। नहीं तो कमतर तो जरूर होता।
कौन कौन आईएएस गए जेल, किया लगा आरोप
भ्रष्टाचार के आरोप में पहली बार बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा जानेवालों में 1991 बैच के IAS अधिकारी प्रदीप कुमार रहे। उन्हें लगभग 130 करोड़ के दवा घोटाले में जेल जाना पड़ा। इसके अलावा उन पर दो करोड़ रुपए के मनी लाउंड्रिंग के भी आरोप लगे थे। साल 2000 में महज 21 वर्ष की उम्र में आईएएस बनी पूजा सिंघल को भी जेल जाना पड़ा। उन पर खूंटी में मनरेगा घोटाले में शामिल होने तथा उद्योग एवं खान सचिव रहते हुए कतिपय अन्य गड़बड़ी करने का आरोप है। इन आरोपों में ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा। हालांकि अभी वह जमानत मिलने के बाद राज्य सरकार की सेवा में लौट आयी है एवं आईटी सेक्रेट्री है। इसी तरह रांची के डीसी रहे छवि रंजन भी आज जेल में हैं। उन्हें ईडी ने सेना की 4.55 एकड़ जमीन को गलत तरीके से बेचवाने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा है।
और भी हैं आईएएस अधिकारी जिन पर लगा दाग
इसी तरह सीएम के प्रधान सचिव रहे राजीव अरुण एक्का को भी ईडी ने एक ठेकेदार के निजी कार्यालय में सरकारी फाइल निबटाने व कतिपय अन्य गड़बड़ियों को लेकर पूछताछ की थी। साहेबगंज के डीसी रहे रामनिवास यादव को भी अवैध पत्थर खनन से जुड़े मामले में पूछताछ की थी। संथालपरगना के प्रमंडलीय आयुक्त चंद्रमोहन कश्यप से भी ईडी ने पूछताछ की थी। इसी तरह वर्तमान में एटीआई के निदेशक मनीष रंजन को भी कतिपय आरोपों में ईडी ने घंटों पूछताछ की थी। उन पर पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के समय हुए घोटाले में अंतरलिप्तता का आरोप है। मालूम हो कि आलम के पीए व नजदीकी के यहां से लगभग 33 करोड़ रुपए मिले थे। इसके अलावा रांची डीसी रहे एक और आईएएस अधिकारी के यहां भी सीबीआई का छापा पड़ा था।