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रांची की सुरक्षा पर संकट : 2700 में से 1620 जवान VIP ड्यूटी में, शहर के लिए बचे सिर्फ 1080

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द फॉलोअप डेस्क
राजधानी रांची में अपराध का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है। इसके बावजूद पुलिस महकमे की ओर से कोई ठोस कार्रवाई या सख्त पहरेदारी नजर नहीं आती। दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के अनुसार राजधानी में सिपाहियों के कुल 3341 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 2700 जवान ही ड्यूटी पर हैं। इनमें भी 1620 जवान वीवीआईपी ड्यूटी में लगाए गए हैं। इसका मतलब है कि महज 1080 जवान पूरे राजधानी की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इन गिने-चुने जवानों को चोरी, लूट, हत्या, अपहरण, दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों से निपटने के साथ-साथ लॉ एंड ऑर्डर, 45 थानों की गश्त और पीसीआर पेट्रोलिंग का भी काम करना होता है। पीसीआर वाहनों की हालत यह है कि कहीं जवान गायब हैं, तो कहीं पदाधिकारी।  इस तरह की अव्यवस्था से साफ है कि शहर की सुरक्षा भगवान भरोसे है।


कमी का असर सीधा जनता पर
नियमित पेट्रोलिंग नहीं हो पा रही।
अपराध की जांच समय पर नहीं हो रही।
आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं, गिरफ्तारियों में देरी हो रही है।
पासपोर्ट व कैरेक्टर वेरीफिकेशन जैसे कामों में भी लंबा विलंब हो रहा है।
पुलिसकर्मियों को 10-12 घंटे लगातार ड्यूटी करनी पड़ रही है।

दारोगा और हवलदार भी कम, सिर्फ एएसआई की संख्या संतोषजनक
हवलदार के 800 पदों में से 690 ही कार्यरत हैं, 110 की कमी।
दारोगा के 620 पदों में से 433 ही तैनात हैं, 187 की कमी।
एएसआई के सभी 733 पद भर दिए गए हैं।

'जुगाड़' से चल रही राजधानी की व्यवस्था

पुलिस बल की कमी को छिपाने के लिए विभाग जुगाड़ का सहारा ले रहा है। कहीं आईआरबी के जवानों को लगाया जा रहा है, तो कहीं रैप व जैप की मदद ली जा रही है। ट्रैफिक और पेट्रोलिंग जैसे जरूरी कामों को होमगार्ड के हवाले कर दिया गया है। इस समय ट्रैफिक संभालने के लिए 700 होमगार्ड जवान तैनात हैं जो जिला बल से भी ज्यादा हैं।