द फॉलोअप डेस्क
झारखंड सरकार की सचिवालयी संरचना धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है। दर्जन भर विभागों पर उससे संबद्ध बोर्ड, निगम और सोसाइटी ज्यादा प्रभावी और मजबूत होते जा रहे हैं। ऐसे सोसाइटी, बोर्ड और निगमों को काफी चालाकी से स्वतंत्र अस्तित्व देने की भी कवायद जारी है। यही कारण है कि ऐसे अधिकतर बोर्ड और निगमों में सचिवालय सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के पद सृजित नहीं है। दोनों संवर्ग के इक्के दुक्के अधिकारी ही यहां प्रतिनियुक्ति पर पोस्टेड हैं। हेड ऑफ इंस्टीट्युशन को छोड़, 90 फीसदी काम आउट सोर्स और संविदा पर नियुक्त कर्मियों से कराया जा रहा है, जो सीधे तौर पर वित्तीय अनियमितता और गड़बड़ी के लिए जिम्मेवार नहीं माने जाते हैं। सचिवालयी व्यवस्था के जानकार बताते हैं कि नियम संगत काम करने में कोई अड़चन पैदा नहीं हो, इसलिए इस तरह की व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है।
16 वां वित्त आयोग और जयराम उठा चुके हैं मुद्दा
पिछले दिनों 16 वें वित्त आयोग की पूरी टीम रांची आयी थी। राज्य सरकार के वित्तीय स्थिति, बोर्ड, निगम, निकाय और अन्य संस्थाओं की समीक्षा के क्रम में आयोग ने गंभीर टिप्पणी की थी। आयोग ने कहा था कि वित्तीय प्रबंधन की मजबूती के लिए इन बोर्ड निगमों का समय समय पर ऑडिट जरूरी है। लेकिन पिछले कई वर्षों से विभिन्न विभागों से जुड़े बोर्ड-निगमों और सोसाइटी का ऑडिट नहीं हुआ है। जेएलकेएम विधायक जयराम महतो ने पिछले बजट सत्र के दौरान सदन में इस विषय को गंभीरता से उठाया था। उन्होंने कहा था कि झारखंड शिक्षा परियोजना का बजट स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के बजट से अधिक है। लेकिन शिक्षा परियोजना में काम करनेवाले अधिकतर कर्मी कंट्रैक्चुअल हैं।
बोर्ड, निगम और सोसाइटी जहां कंट्रैक्चुअल और आउट सोर्स कर्मी की चलती
वैसे बोर्ड निगम और सोसाइटी जहां सचिवालय या राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लाले हैं। इनके लिए यहां न तो पोस्ट सृजित है और ना ही उन्हें वहां प्रतिनियुक्त किया जाता है। दोनों सेवा के इक्के दुक्के अधिकारी-कर्मचारी ही यहां काम कर रहे हैं। इनके नाम हैं-झारखंड शिक्षा परियोजना, जुडको, सूडा, झारखंड राज्य आरोग्य सोसाइटी, झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी, झारखंड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी, जैप-आईटी, झारखंड मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, जिडको, रियाडा, जेएसएलपीएस, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, ज्रेडा, झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड, झारखंड बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड व अन्य। यहां बताने की जरूरत नहीं कि नगर विकास एवं आवास विभाग के अधिकतर काम जुडको और सूडा के माध्यम से हो रहे हैं। इसी तरह स्कूली शिक्षा विभाग के बड़े बजट का काम झारखंड शिक्षा परियोजना करता है। झारखंड कौशल विकास सोसाइटी अपने आप में काफी महत्वपूर्ण और प्रभावी है।