द फॉलोअप डेस्क
राज्य सरकार के ट्रेजरी से निकाले गए 2,812 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिल रहा है। यह राशि कई विभागों द्वारा वर्षों पहले अग्रिम के रूप में निकाली गई थी। इसमें 23 साल पुरानी निकासी भी शामिल है। अधिकारियों को बार-बार निर्देश देने के बावजूद अग्रिम राशि का हिसाब जमा नहीं किया गया है।
मुख्य सचिव के निर्देश के बाद भी लापरवाही
डेढ़ माह पहले तत्कालीन मुख्य सचिव एल खियांग्त और वित्त सचिव प्रश्वंत कुमार ने सभी विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर लंबित बिलों का समायोजन करने के निर्देश दिए थे। कहा गया था कि अगर अग्रिम राशि खर्च नहीं हुई है तो उसे ट्रेजरी में वापस जमा किया जाए। इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
महालेखाकार ने दी थी रिपोर्ट
5 महीने पहले महालेखाकारर (एजी) ने 4,937 करोड़ रुपये के डीसी बिल लंबित होने की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। अब कर केलव 1,698 करोड़ का समायोजन हुआ है और 426 करोड़ रुपये का डीसी बिल प्रक्रिया में है। लेकिन 2,812 करोड़ रुपये का हिसाब अब भी नहीं है।
ग्रामीण विकास के 411 करोड़ की गड़बड़ी
23 सितंबर को वित्त विभाग की बैठक में खुलासा हुआ कि ग्रामीण विकास विभाग के लिए आवंटित 411 करोड़ रुपये दुसरे विभागों ने निकाला लिए। इसके बाद ग्रामीण विकास को जांच के निर्देश दिए गए कि बिना उफ-आवंटन ने राशि कैसे निकाली गई और दोषियों को चिन्हित कर समायोजन की व्यवस्था की जाए।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार अग्रिम बकाया राशि
ग्रामीण विकास: 918 करोड़
गृह विभाग: 384 करोड़
स्कूली शिक्षा: 240 करोड़
स्वास्थ्य: 184 करोड़
आपदा प्रबंधन: 109 करोड़
पर्यटन: 147 करोड़
कल्याण: 224 करोड़
उच्चस्तरीय कमेटी की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं
मार्च 2023 में डीसी बिल लंबित रहने के कारणों की जांच के लिए राजस्व परिषद के सदस्य एपी सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी। वित्त और ग्रामीण विकास विभाग से यह जानकारी मांगी गई थी कि किन एजेंसियों और जिलों से अब तक बिल नहीं आए हैं। लेकिन इस रिपोर्ट पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
क्या है एसी और डीसी बिल?
एसी बिल: (एब्सट्रैक्ट कंटिंजेंट) - इस बिल के जरिए अग्रिम राशि निकाली जाती है।
डीसी बिल: (डिटेल्स कंटिंजेंट) - निकाली गई राशि के खर्च का विवरण और वाउचर इस बिल के माध्यम से जमा किया जाता है।