द फॉलोअप डेस्क
बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है। इस पत्र के जरिए तेजस्वी ने बिहार के लोगों के लिए नीतीश कुमार से एक मांग रखी है। तेजस्वी ने बिहार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है और 85 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करते हुए विधेयक पारित कराकर उसे 9वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार तक भेजने की भी मांग की है।
तेजस्वी ने पत्र में लिखा है कि “माननीय मुख्यमंत्री जी. आपको ज्ञात है कि विपक्ष में रहते एवं अगस्त 2022 में सरकार में आने के बाद हमारे अथक प्रयासों से महागठबंधन सरकार द्वारा वर्ष 2023 में बिहार में जाति आधारित गणना का कार्य पूर्ण कराया गया था। गणना उपरान्त राज्य की विभिन्न जातियों की जनसंख्या एवं उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर विधेयक पारित करा कर राज्य के पिछड़े, अति पिछड़े, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की सीमा 65 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था। फलस्वरूप बिहार में सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन हेतु कुल 75 प्रतिशत आरक्षण सीमा निर्धारित की गयी थी। दलित-आदिवासी, पिछड़े अति पिछड़े के साथ-साथ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों को महागठबंधन सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय से बढ़े हुए आरक्षण का लाभ दिलाना सुनिश्चित हुआ था”।
तेजस्वी ने आगे लिखा है कि “इस कानून को माननीय उच्च न्यायालय, पटना द्वारा यह कहकर रद्द (Set Aside) किया गया कि राज्य की सरकारी नौकरियों एवं अध्ययन संस्थानों के नामांकन हेतु इन जातियों के लोगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व का अध्ययन नहीं करा कर आरक्षण सीमा को बढ़ाया गया है। सर्वविदित है कि इसी तर्ज पर तमिलनाडु में पिछले 35 सालों से वहां के लोगों को 69 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। इस परिस्थिति में अब यह अति आवश्यक है कि सरकार द्वारा एक सर्वदलीय समिति का गठन किया जाए जो उपयुक्त अध्ययन कर एक सप्ताह के अन्दर अपना प्रतिवेदन समर्पित करें। सर्वदलीय समिति द्वारा किए गए अध्ययन के आलोक में बिहार विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाकर एक नया आरक्षण विधेयक पारित करा कुल 85 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान कर इसे 9वीं अनुसूची में डालने की अनुसंशा केन्द्र सरकार से की जाए ताकि आरक्षण विरोधी तत्वों एवं भाजपाई सरकार को इसे भी विभिन्न माध्यमों से पुनः रद्द कराने का मौका न मिल सके”।
तेजस्वी ने सीएम नीतीश कुमार से सवाल किया है कि “क्या भारतीय जनता पार्टी और RSS की नीतियों पर चल रही यह NDA सरकार नहीं चाहती कि वंचित वर्गों के आरक्षण की वर्तमान सीमा को बढ़ाकर 85 प्रतिशत किया जाए जिससे कि राज्य के दलित-आदिवासी, पिछड़ा-अति पिछड़ा एवं अन्य दबे-कुचले लोगों को बढ़े हुए आरक्षण का यथाशीघ्र लाभ मिले तथा उन्हें शिक्षण संस्थानों में नामांकन के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल सके”।
उन्होंने लिखा, “माननीय मुख्यमंत्री जी, अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो यह समझा जाएगा कि आप और आपकी सरकार जान-बूझकर इस मामले को लटका और भटका रही है। आपको मालूम है कि 17 महीनों की महागठबंधन सरकार के दौरान लाखों नौकरियां दी गई तथा लगभग 3,50,000 नौकरियां प्रक्रियाधीन की गयी। हमारी सरकार द्वारा बढ़ाए गए अतिरिक्त 16 प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं मिलने की वजह से दलित-आदिवासी, पिछड़े-अति पिछड़े अभ्यर्थियों को प्रक्रियाधीन नियुक्तियों में लाखों नौकरियों का नुकसान हो रहा है जो कि आरक्षण एवं समानता की अवधारणा तथा उस विधेयक के उद्देश्यों के साथ खिलवाड़ है”। तेजस्वी ने आगे लिखा है कि “विदित हो कि पूर्व में भी मेरे द्वारा कई बार इस आशय का अनुरोध किया गया है। दिनांक-04.03.2025 को महागठबंधन दल के कई माननीय विधायकों द्वारा विधानसभा में इस मामले पर विचार-विमर्श हेतु कार्यस्थगन प्रस्ताव भी लाया गया था। महामहिम राज्यपाल महोदय के फरवरी 2025 के भाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर दिए गए अपने संशोधनों में भी मेरे द्वारा ये अनुरोध किया गया था”।
अंत में उन्होंने लिखा, “आग्रह है कि यथाशीघ्र सर्वदलीय समिति का गठन करते हुए बिहार विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र आहूत किया जाए जिसमें कुल 85 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करते हुए विधेयक पारित करा उसे 9वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को तीन सप्ताह के अन्दर भेजने की कृपा की जाए। ऐसा नहीं होने की स्थिति में राज्य के 90 प्रतिशत दलित-आदिवासी, पिछड़े-अति पिछड़े एवं सदियों से दबे-कुचले लोगों के हित में हमारे द्वारा राज्य भर में एक व्यापक जन-आन्दोलन की शुरूआत की जाएगी”।