द फॉलोअप डेस्क
पलामू में चतुर्थ वर्गीय पदों पर नियुक्ति को लेकर अभ्यर्थी आमने-सामने हैं। मेदिनीनगर में समहरणालय के सामने दोनों ही पक्ष के अभ्यर्थी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। धरना दे रहे हैं। इसको लेकर समहरणालय के सामने अलग नजारा दिखता है। दरअसल पूरा मामला काफी पेंचिदा है। चतुर्थ वर्गीय पदों पर तत्कालीन डीसी अमित कुमार के समय प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर 262 सफल उम्मीदवारों की ज्वाइनिंग करायी गयी थी। नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर कई अभ्यर्थी हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2025 में पारित अपने आदेश में नियुक्ति प्रक्रिया को गलत करार दिया। साथ ही छह महीने के भीतर विज्ञापन निकाल कर फिर से नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से 262 चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की नौकरी चली गयी। ये ऐसे कर्मी थे, जो छह, सात और आठ वर्ष की सेवा दे चुके थे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पलामू जिला प्रशासन ने 585 चतुर्थ वर्गीय पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया है। इस विज्ञापन के अनुसार आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि पांच जुलाई है। इस विज्ञापन में मैट्रिक में प्राप्त अंक के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार करने की बात कही गयी है। अर्थात प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम से बहाली नहीं की जानी है। आवेदकों के लिए मैट्रिक के अंक के अलावा साइकिल चलाना दूसरी आहर्ता है। अब इस पद के इच्छुक अधिकतर उम्मीदवार प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर नियुक्ति करने की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि मैट्रिक में 10 सीजीपीए लानेवाले अधिकतर युवक बड़े और संपन्न परिवारों से आते हैं। इसलिए मैट्रिक के अंक के आधार पर नियुक्ति होने पर गरीबों का हक मारा जाएगा। प्रतियोगिता परीक्षा के समर्थक जिले में चौकीदार के पद पर हुई नियुक्ति प्रक्रिया को रेखांकित करते हैं। उनका कहना है कि चौकीदार पद पर हुई नियुक्ति के लिए 50 अंकों की परीक्षा ली गयी थी। चौकीदार के पद भी चतुर्थ वर्गीय पद है।
जिले की बाध्यता समाप्त करने का भी विरोध
चतुर्थ वर्गीय पद पर नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन में जिले की बाध्यता समाप्त कर दी गयी है। अर्थात झारखंड के किसी भी जिले का युवक नौकरी के लिए आवेदन दे सकता है। अब पलामू के स्थानीय युवकों का कहना है कि चतुर्थ वर्गीय पद नियुक्ति में जिले की बाध्यता होनी चाहिए। ऐसा हुआ तो रांची, जमशेदपुर, धनबाद, गुमला या अन्य जिले के युवक भी आवेदन करेंगे और नौकरी पाएंगे। पलामू के युवक नौकरी पाने से बंचित रह जाएंगे।
हटाये गए कर्मी कर रहे समायोजन की मांग
2017 के विज्ञापन के आधार पर नियुक्त हुए चतुर्थ वर्गीय 262 कर्मी, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने गलत करार दिया। उनकी नौकरी चली गयी, अपने समायोजन को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि वर्तमान में 585 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया है। इन्हीं 585 पदों में 262 को समायोजित किया जाएगा। वे लोग सात-आठ साल तक नौकरी कर चुके हैं। उनकी उम्र ढल चुकी है। इसलिए अब वे कहां जाएंगे। हालांकि विज्ञापन में हटाए गए कर्मियों के लिए उम्र सीमा में 15 साल की छूट दी गयी है.