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पटना में दलित विमर्श मंच एवं श्री गुरु सिंह सभा ने संयुक्त रूप से किया सेमीनार आयोजित

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द फॉलोअप डेस्क
जगजीवन राम शोध एवं अध्ययन केंद्र में दलित विमर्श मंच एवं श्री गुरु सिंह सभा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एकदिवसीय सेमिनार में अपना विचार रखते हुए श्री हरमंदिर जी पटना साहिब के धर्म प्रचार प्रमुख सरदार महेंद्र पाल सिंह ढिल्लों ने कहा की बिहार में सिख धर्म का इतिहास बहुत पुराना और रोचक है। सेमिनार का केन्द्रीय विषय, "सिख धार्मिक आंदोलन में दलितों की भूमिका" था। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सरदार ढिल्लों ने कहा की सिखों के प्रथम गुरु नानक देव महाराज ने सबसे पहले पटना साहिब में ही बैठकर सिख धर्म की पहली गद्दी स्थापित की थी।

उन्होंने कहा कि यह धर्म मानवता की रक्षा के लिए, प्रकृति के संरक्षण के लिए और लोगों के सहयोग के लिए खड़ा किया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार न केवल भगवान बुद्ध और जैन तीर्थंकरों की धरती है, अपितु यह हमारे गुरुओं की भी धरती है। हमारे कई धर्मगुरु इस धरती पर आए और यहां के लोगों को असल धर्म की शिक्षा दी। 

सेमिनार के दूसरे सत्र में सुप्रीम कोर्ट के वकील और तमिलनाडु के सिख स्कॉलर, सरदार जीवन सिंह मल्ला ने कहा कि सिख धर्म में दलितवाद का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि यहां कोई जाति का कांसेप्ट है ही नहीं। जो गुरु सिंह है उसमें किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं है। हिंदुओं में ब्रह्मिनकल सोशल ऑर्डर होने के कारण कई प्रकार के विभेद देखने को मिलते हैं, लेकिन सिखों में ऐसा कुछ नहीं है। सिख मानवता का धर्म है और सिख ऐसे लोगों का विश्वास है जो मानवता के लिए जीते और मानवता के लिए करने की कसम खाते हैं।

श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष और पंजाबी भाषा के प्रोफेसर रहे डॉ श्याम सिंह ने सिख धर्म में समान भाव की व्याख्या की और कहा कि हमारे यहां सबके लिए दरबार खुला हुआ है। हम किसी को पूछ करके न बिठाते हैं और ना उनका सम्मान या विरोध करते हैं। हमारे गुरुओं ने हमें सिखाया है कि जो भी कमजोर है उसके साथ खड़ा हो जाना और हमारा इतिहास ऐसे ही योद्धाओं से अटापटा है। 

चंडीगढ़ से आए सिख दलित चिंतक सरदार राजविंदर सिंह राही ने सिख धर्म में उत्पन्न कई प्रकार की विसंगतियों पर प्रकाश डाला और कहा कि मैं समझता हूं कि हिंदू धर्म से प्रभावित होने के कारण सिख धर्म में भी कई प्रकार की विसंगतियां प्रवेश कर गई है लेकिन यहां वैसा विभेद नहीं है, जैसा विभेद या छुआछूत हिंदू धर्म में देखने को मिलता रहा है। हम सिख नए रंग रूप में फिर से खड़े हो रहे हैं और हमें विश्वास है कि सिख धर्म में जो विसंगतियां, जो विकृतियां, व्याधियों आ गई उसे हम दूर करेंगे।
एडवोकेट योगेश चंद्र वर्मा ने सिख धर्म के इतिहास और सिख धर्म के वर्तमान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पंजाब में जाट सिखों के प्रभाव के कारण दलित सिख अब सिख से कटकर क्रिश्चियनिटी के तरफ आकर्षित हो रहे हैं। इस पर सिख धर्म के परोकारों को सोचना चाहिए और इस धर्म में जो नए सिरे से विसंगतियां पैदा हो रही है, उसे खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए। सेमिनार के दौरान पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता गोपाल कृष्ण ने सिखों के इतिहास, समाजवादी सोच और बिहार में सिख संबंधी कई ऐतिहासिक विषयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने जाने माने कई स्कॉलरों का नाम भी बताया जिन्होंने सिख धर्म पर लिखा है और सिख धर्म की आधुनिक व्याख्या की है। 

कार्यक्रम के प्रथम चरण में बिहार में सिख धर्म के इतिहास विषय पर प्रकाश डालते हुए चंडीगढ़ की रहने वाली पंजाबी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुखजिंदर कौर ने कहा कि बिहार में सिख धर्म का इतिहास बहुत ही रिच है। इसे जानने और समझने की जरूरत है। इसी सत्र में पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर भूपेंद्र पाल सिंह ने बिहार में सिख धर्म की संभावना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की बिहार की धरती मानवता की धरती है और यहां पर एक से एक चिंतक और विचारक पैदा हुए हैं। अगर हम अपनी बात सही तरीके से यहां के लोगों तक पहुंचाते हैं तो मानवता के इस चिंतन को लोग जरूर स्वीकार करेंगे। कार्यक्रम के अंत में श्री गुरु सिंह सभा के महासचिव सरदार डॉक्टर खुशाल सिंह ने कहा कि हम बिहार को प्रयोग की भूमि के तौर पर देखते हैं। आने वाले समय में हम बिहार पर और ज्यादा ध्यान केंद्रित करेंगे। बिहार हमारे लिए बेहद उपयोगी प्रदेश है। यहां हमारे गुरु का घर है और हम इस घर को ठीक ढंग से संभालने और संवारने का प्रयास करेंगे।

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